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EXCLUSIVE: एक्टर करण आनंद को मिला था 40 रुपये का पहला चेक, नाना पाटेकर ने बताया बॉलीवुड इंडस्ट्री में मशहूर होने का फॉर्मुला

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यूट्यूब पर एक शॉर्ट फिल्म ‘आइना’ रिलीज हुई है। इसमें एक्टर हैं करण आनंद। उत्तर प्रदेश के इलाहाबाद (प्रयागराज) से आने वाले करण को पहला ब्रेक ‘यश राज’ बैनर ने दिया। करण बताते हैं कि उन्हें पांच साल तो इंडस्ट्री को समझने में ही लग गए। करण, बॉलीवुड इंडस्ट्री के कई बड़े सितारों जैसे सलमान खान, अक्षय कुमार और गोविंदा आदि के साथ काम कर चुके हैं। करण ने लाइव हिन्दुस्तान के साथ एक्सक्लूसिव इंटरव्यू में अपनी हाल ही में आई फिल्म से लेकर पर्सनल लाइफ से जुड़े कई पहलुओं पर बातचीत की…

बचपन से ही आप एक्टिंग की दुनिया में कदम रखना चाहते थे। कोई किस्सा जिसने आपकी किस्मत बदल दी हो? 
मैं इलाहाबाद (प्रयागराज) का रहना वाला हूं। मेरे घर से 10 घर छोड़कर एक बड़ा-सा मैदान है। गंगा-जमुना जी का किनारा शुरू होता है। बचपन में जब छोटा था तो खेलने वहां जाया करता था। कुछ दिनों के भीतर वहां मेला लगा करता था। उसमें कई कंपनियां आती थीं, प्ले करती थीं। क्योंकि मैं छोटा था तो मुझे वहां आसानी से एंट्री मिल जाया करती थी। देखकर बड़ा-ही अच्छा लगता था। 7-8 साल का था उस समय मैं। एक से डेढ़ महीने, सारे कैरेक्टर्स वहीं रहते थे। उनको देखकर वहां से मुझे एक्टिंग करना का मन हुआ। 

इसके बाद मुझे ऑल इंडिया रेडियो में परफॉर्म करने का मौका मिला। एक ऑडियो प्रोग्राम में, जिसका नाम था, बालसंघ। संडे को आता था। उसमें विजय बोस जी थे और उनके साथ दो बच्चे हुआ करते थे। एक लड़का, एक लड़की। 10-12 वीक में एक बार मेरी बारी आती थी। उसे करके मेरे हाथ में 40 रुपये का पहला चेक आया था। बहुत खुशी हुई थी। वही मेरे लिए एक छोटा-सा ब्रेक था। 

उस जमाने में दरअसल, बच्चन जी के पिता हरिवंशराय बच्चन साहब और विजय जी का एक ग्रुप हुआ करता था। सभी मिलकर प्ले करते थे। उसमें भी मुझे एकाध-बार परफॉर्म करने का मौका मिला। थिएटर ग्रुप का नाम था, प्रयाग रंगमंच। 

इंडस्ट्री में कोई गॉडफादर नहीं? ऐसे में अपनी पहचान बनाना बहुत मुश्किल रहा होगा? और फिर पहला ब्रेक मिला वह भी यश राज बैनर तले?
स्ट्रगल मुझे भी वैसा ही करना पड़ा है जैसे किसी नए एक्टर को करना पड़ता है। पांच साल मुझे इंडस्ट्री को समझने में लग गए। समझ नहीं आता था कहां जाऊं, किससे मिलूं। मेरा कोई गॉडफादर नहीं था, मैं बस सीधा मुंबई आ गया। 

मुंबई आने के बाद मैं लोगों से मिलता रहा, फिर मुझे टीवी शो मिलने शुरू हुए और ताज्जुब की बात ये रही कि मेरे टेलीविजन के किरदार को देखकर मुझे ‘गुंड़े’ फिल्म मिली। मैं रोज की तरह जिम में एक्सरसाइज कर रहा था। गलती से उस दिन मैंने ईयरफोन्स लगाए हुए थे। मुझे फोन आया और मेरे से पूछा कि आप दूरदर्शन के सीरियल में विजय सिंह का रोल करते हैं। मैंने कहा, हां। लड़की ने कहा, मुझे आपका नंबर मिला। मैंने बोला, मेरा नाम करण है और मैं ही वह रोल कर रहा हूं। उन्होंने कहा कि करण, आपको एक फिल्म के लिए फाइनल किया गया है और फ्री हो तो ऑडिशन के लिए आ सकते हो। मैंने पूछा कहां आना है। आप कहां से बोल रही हैं।

उन्होंने कहा, मैं यश राज से बोल रही हूं और वह फोन आया था भूमि पेडनेकर का। अगले दिन 2 बजे मैं यश राज स्टूडियो गया और ऑडिशन दिया। फिर जाकर 8 दिन बाद फोन आया और मुझे फिल्म के रोल के लिए फाइनल किया गया। मुझे बताया गया कि फिल्म में तीन नॉर्मल सीन और एक एक्शन सीन है। एक्शन सीन मेन है और ट्रेन पर है। आपके सामने दोनों हीरो रहेंगे। वहां से मैनें टीवी से नाता तोड़ा और फिल्मी दुनिया में कदम रखा। 

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नेपोटिज्म पर क्या सोचते हैं आप?
मैं नेपोटिज्म वर्ड नहीं बोलूंगा। हम लोगों के साथ ये हो जाता है कि हमें कोई बताने वाला नहीं होता। बस, सेलिब्रिटी के बच्चों के लिए ये प्रोसेस आसान होता है। बचपन से उन्होंने फिल्म इंडस्ट्री को देखा होता है। उनके पास माता-पिता द्वारा बताई कई चीजें होती हैं। लेकिन जरूरी नहीं कि सारे बड़े एक्टर्स के बच्चों की फिल्म चल ही जाए। उन्हें भी कहीं न कहीं मेहनत करनी पड़ती है। आज भी कई एक्टर्स हैं जिनके माता-पिता इंडस्ट्री में अच्छा काम कर रहे हैं और बच्चे नहीं। उनकी पहली मीटिंग किसी बड़े डायरेक्टर के साथ आसानी से हो सकती हैं, लेकिन कहना मुश्किल होता है कि वह अपने टैलेंट के दम पर इंडस्ट्री में सस्टेन कर पाएंगे। मेरा मानना है कि इंडस्ट्री में अपनी पहचान बनाने में मुझे थोड़ा-बहुत वक्त जरूर लग जाएगा, लेकिन मैं आऊंगा जरूर। मुझे कोई रोक नहीं पाएगा। 

‘बेबी’ में ‘स्पाई’ का किरदार निभाया, ‘रंगीला राजा’ में ‘आईएएस ऑफिसर’ का, ‘किक’ में साधारण व्यक्ति का किरदार निभाया, ‘लुप्त’ जैसी हॉरर फिल्म भी की। देखा गया कि आपने कई अलग-अलग किरदारों वाली फिल्में कीं। कितना मुश्किल रहा इनमें ढलना?
मैं लकी हूं कि मुझे अलग-अलग किरदार मिले। किरदार खुद से आते चले गए और मैं यह चाहता भी था, क्योंकि एक ही किरदार के लिए मुझे अपनी छवी नहीं बनानी थी। आज का सिनेमा बहुत बदल चुका है। कोई इसमें एक ही किरदार नहीं निभाना चाहता है। 15-20 साल पहले चलता था कि एक एक्टर एक ही किरदार निभाता जा रहा है। आज अगर एक एक्टर अपने रोल में रिपीट हुआ तो उसको काम ही नहीं मिलेगा। उसे उठाकर फेंक दिया जाएगा। यहां एक्टरों का इतना रेला है कि अगर आपकी स्पेस हिली तो वहां पर 50 खड़े हैं फिर आपको वो जगह वापस पाने का शायद मौका मिले या न मिले। मैंने इसलिए कैरेक्टर्स के लिए इंतजार किया। मैं हीरो नहीं ढ़ूंढ रहा हूं मैं कैरेक्टर ढ़ूंढ रहा हूं। 

अक्षय कुमार के साथ कैसी बॉन्डिंग रही?
मैंने कई अलग-अलग एक्टर्स के साथ फिल्में कीं और सेट पर सभी के साथ मेरी अच्छी बॉन्डिंग रही। अक्षय कुमार के साथ मेरा यादगार एक्सपीरियंस रहा। उन्होंने कभी अहसास नहीं दिलाया कि वह एक बड़े स्टार हैं। तुर्की में, मेरा और अक्षय कुमार का एक एक्शन सीन था। जो उन्होंने बहुत संभालकर किया था। 

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एक भोजपुरी फिल्म भी की है ‘कबले आई बहार’, कैसा अनुभव रहा। फेवरेट एक्ट्रेस कौन है?
मैंने जो भोजपुरी फिल्म की वह दोस्ती-यारी में की। सबजेक्ट बहुत सुंदर था, भ्रूण हत्या पर। कास्ट बहुत खूबसूरत थी। रश्मि देसाई मेरी हीरोइन थी। मां का किरदार शालिनी कपूर ने किया था। फिल्म भी सुपरहिट हुई थी। उसके बाद मुझे कई फिल्में ऑफर हुईं। मुझे और रश्मि को साथ में। लेकिन तब तक मुझे भोजपुरी इंडस्ट्री का माहौल समझ में आ गया था, क्योंकि ये लोग जो बताते हैं वो करते नहीं हैं। ये करते कुछ और हैं और ज्यादातर गाने डबल मीनिंग होते हैं और मुझे वो सूट नहीं करता। मैं उस जोन में नहीं आता हूं। हालांकि, उस समय भोजपुरी का जबरदस्त दौर था। मैंने इसलिए भी भोजपुरी फिल्म करने के लिए मना किया क्योंकि मैं नहीं चाहता था कि पांच साल बाद मुझे ये लगे कि मैंने क्या किया। गिल्ट न हो।  

नाना पाटेकर साहब के साथ मैंने काम तो नहीं किया लेकिन मेरी बनती बहुत थी उनसे। हम बस साथ में जिम करते थे तो उन्होंने मुझे एक बात ट्रेन की कि जब तक रोल दिल को न छूए न, न कहना सीखना करण। जिदंगी में अफसोस नहीं होगा तुझे। इंडस्ट्री में सभी लोग अच्छा कर रहे हैं। सभी का अपना सिनेमा होता है। मुझे जहां खुशी मिलती है मैं वहां काम करता हूं और भोजपुरी इज नॉट माय कप ऑफ टी।

भोजपुरी में कौन-सी एक्ट्रेस हैं फेवरेट?
मैंने भोजपुरी में केवल एक फिल्म की, वह भी रश्मि देसाई के साथ तो मैं रश्मि का ही नाम लूंगा। उस टाइम रश्मि 25 फिल्में कर चुकी थीं। मेरी फेवरेट भी थीं। 

किसी को डेट कर रहे हैं?
मैं बहुत कमेटेड रिलेशनशिप में हूं। बस अभी थोड़ा-सा झगड़ा चल रहा है और उम्मीद करता हूं कि यह जल्दी खत्म हो जाएगा। हालांकि, इस बारे में कुछ भी और जानकारी देने से करण ने इंकार कर दिया और कहा कि थोड़ी जल्दबाजी हो जाएगी।

कोरोना काल में अनलॉक 1 में शूटिंग पर वापस जाना कितना सही? 
इस समय शूट करना बेहद मुश्किल है। स्पॉट ब्वॉय, लाइट मैन स्टूडियो तक आएंगे कैसे, यह एक सवाल है। लोकल ट्रेन नहीं चल रही है। लोग कहां रहते हैं, कुछ पता नहीं। डायरेक्टर्स पीपीई किट पहनकर तो नहीं काम कर पाएंगे। सेफ्टी भी देखनी पड़ेगी। इसलिए शूटिंग का कुछ पता नहीं।  

लॉकडाउन में हुई प्रवासी मजदूरों की हालत को टीवी पर दिखाया गया। आपका उनकी मदद में क्या योगदान रहा? 
पहले तो लॉकडाउन की शुरुआत में मुझे तालमेल बिठाने में वक्त लगा। समझ आ गया था कि यह लंबा चलने वाला है। फिर मैंने घर पर ही अपनी बॉडी पर काम करना शुरू किया। डांस, योग, एक्सरसाइज सब शुरू किया। हां, लॉकडाउन में टीवी पर जब प्रवासी मजदूरों की हालत देखी तो बहुत दुख हुआ। मुझे याद है मैं ये सब देख ही रहा था अचानक रोने लगा। फूट-फूटकर रोया। दोस्तों को, जानने वालों को फोन किया आर मदद कैसे की जाए इस बारे में चर्चा की। जो हो सका किया। कम से कम हाउस हेल्प की मदद करने का जिम्मा उठाया।  

यूट्यूब पर रिलीज हुई फिल्म ‘आइना’ में जो आपने मैसेज दिया है, हाउस हेल्प की मदद करने का, आपको नहीं लगता कि आप इसे देने में लेट हो गए। मार्च से कोरोना चल रहा है?
कोरोना के दौरान हाउस हेल्प की मदद करने और उन्हें पूरी सैलरी देने की जागरूकता तो लोगों में आई लेकिन बहुत सुपरफीशियल लेवल पर। प्रैक्टिकल बताऊं तो उन्होंने मार्च का तो हाउस हेल्प को पैसा दिया, अप्रैल में भी कुछ लोगों ने दिया। लेकिन उसके बाद लोगों ने देना बंद कर दिया। शायद 60-70 प्रतिशत लोग इस कैटगरी में शामिल रहे हों। उनका कहना था कि हमें भी तो नहीं मिल रहा है। आप देखें जो हाउस हेल्प चार या पांच साल से आपके यहां काम कर रही है, जिसने आपको कभी धोखा नहीं दिया। आप नहीं उनकी मदद करेंगे तो कौन करेगा। कहीं न कहीं मैंने इस फिल्म से मैसेज दिया कि अगर आपके पास पैसे हैं किसी का जीवन बचाने के लिए तो उसकी हेल्प करो। 

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