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चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान

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साख निर्धारण से जुड़ी एस एंड पी ग्लोबल रेटिंग्स ने सोमवार (8 जून) को कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था में चालू वित्त वर्ष में 5 प्रतिशत की गिरावट आने की आशंका है। उसने यह भी कहा कि सकल घरेलू उत्पाद का 1.2 प्रतिशत के बराबर वित्तीय प्रोत्साहन वृद्धि को थामने और उसे गति देने के लिए पर्याप्त नहीं है।

एस एंड पी ने उभरते बाजारों पर एक रिपोर्ट में कहा कि कोरोना वायरस संकट से सेवा क्षेत्र बुरी तरह प्रभावित हुआ है। चूंकि इसमें नियोक्ताओं की काफी संख्या है, अत: बड़ी संख्या में लोगों की नौकरियां गई हैं। उसने कहा, ”प्रवासी मजदूर भौगोलिक रूप से विस्थापित हुए हैं और हमारा अनुमान है कि इस प्रक्रिया के थमने में कुछ समय लगेगा। इस दौरान आपूर्ति व्यवस्था पर प्रतिकूल असर रहेगा।”

रेटिंग एजेंसी के अनुसार चालू वित्त वर्ष में भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत की गिरावट आएगी। हालांकि अगले वित्त वर्ष 2021-21 में इसमें तेजी आएगी और इसके 8.5 प्रतिशत पर रहने का अनुमान है। वहीं 2022-23 में आर्थिक वृद्धि दर 6.5 प्रतिशत रहने का अनुमानहै। भारत की जीडीपी वृद्धि दर 2019-20 में 4.2 प्रतिशत रही जो 11 साल का न्यूनतम स्तर है।

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एस एंड पी ने कहा, ”रिजर्व बैंक ने फरवरी से नीतिगत दर में 1.15 प्रतिशत की कमी की है, लेकिन इसको लेकर आकर्षण नहीं है क्योंकि बैंक कर्ज देने को इच्छुक नहीं हैं। वहीं सरकार ने जो वित्तीय प्रोत्साहन की घोषणा की है, वह जीडीपी का केवल 1.2 प्रतिशत है। यह आर्थिक वृद्धि को थामने और उसे गति देने के लिए पर्याप्त नहीं है।”

इससे पहले, रेटिंग एजेंसी फिच और क्रिसिल ने भी भारतीय अर्थव्यवस्था में 5 प्रतिशत की गिरावट का अनुमान जताया है, जबकि मूडीज ने अर्थव्यवस्था में 4 प्रतिशत की कमी की आशंका जताई है। सरकार ने पिछले महीने 20.97 लाख करोड़ रुपये के आर्थिक पैकेज की घोषणा की जिसमें आरबीआई से मिला नकदी समर्थन शामिल हैं।

इससे पहले, एस एंड पी ने कहा था कि सरकार का प्रोत्साहन पैकेज जीडीपी का 10 प्रतिशत नहीं है। सरकार ने सीधे तौर पर जो वित्तीय पैकेज दिया है वह जीडीपी का केवल 1.2 प्रतिशत है। शेष 8.8 प्रतिशत पैकेज में नकदी समर्थन उपाय और कर्ज गारंटी शामिल है, जिससे वृद्धि को सीधे तौर पर मदद नहीं मिलेगी।

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